देहरादून, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरणः हाल के समय में जो गंभीर बीमारियां मानव जीवन में अधिक परेशानी पैदा कर रही हैं उनमें किडनी की समस्या का भी अहम स्थान है। प्रदेश भर में आयुष्मान योजना के तहत अभी तक 1.55 लाख से अधिक बार मरीज डायलिसिस उपचार करा चुके हैं। जिस पर राज्य सरकार का 70.79 करोड़ की धनराशि खर्च हो चुकी है। योजना के बेहतर संचालन के लिए लाभार्थी और उनके तीमारदार प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का आभार जता रहे हैं।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत के मुताबिक पहाड़ से लेकर मैदान तक मैदान तक किडनी की मरीजों का एक अच्छा खासा आंकड़ा है। इसमें राहत के लिए डायलिसिस ही विकल्प है। मोटे तौर पर देखा जाए तो आम चिकित्सा संस्थाओं में एक बार लिए गए डायलिसिस पर भी काफी खर्च आता है। इस ब्याधि में ऐसी भी स्थितियां बनती हैं जब मरीजों को सप्ताह में दो दो बार भी डायलिसिस लेनी पड़ती है। यह हालात मरीज के परिवार की आर्थिकी को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। किडनी रोग की स्थितियों में अब अच्छी बात यह आयुष्मान योजना के जरिए किडनी के मरीज डायलिसिस का उपचार मुफ्त में ले रहे हैं। आयुष्मान योजना के लाभार्थी को किसी भी सूचीबद्ध सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में कोई परेशानी ना हो और उसे बेहतर से बेहतर उपचार मिल सके इसके लिए अधिकारियों को भी सख्त निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री डा रावत ने बताया कि प्रदेश भर में अभी तक आयुष्मान योजना के तहत 1 लाख 55 हजार 490 से अधिक बार किडनी के मरीजों ने डायलिसिस का मुफ्त उपचार लिया है। जिस पर राज्य सरकार का 70.79 करोड़ की धनराशि खर्च हुई है। कहा कि आयुष्मान योजना का बेहतर संचालन के साथ ही प्रदेश वासियों को निशुल्क बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकताओं में है।
वहीं आयुष्मान के तहत उपचार करा रहे लाभार्थी हरिद्वार निवासी सतीष ढींगरा, सुरेंद्र कुमार, उधम सिंह नगर निवासी कुंवर सिंह, कलवंत सिंह, के साथ ही अन्य लाभार्थी हर तीरथ सिंह, शांति स्वरूप, दलीप सिंह, बृजमोहन, मनीश शर्मा, भरत सिंह स्वयं यह बात कहते हैं कि यदि आयुष्मान योजना के जरिए सरकार की ओर से मुफ्त डायलिसिस की सुविधा नहीं होती है तो कुछ भी नहीं हो पाता। स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत के निर्देशों पर स्वास्थ्य क्षेत्र में हुए गुणात्मक सुधार को सभी अभूतपूर्व बताते हैं। साथ ही ये लोग गदगद भाव से केंद्र व प्रदेश सरकार का भी आभार जताते हुए नहीं थकते हैं। वह कहते हैं कि इसीलिए तो आयुष्मान योजना को कोई संजीवनी तो कोई प्राणदायी कहता है।