हरिद्वार, इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तिथि को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी दो दिन 18 और 19 अगस्त गुरुवार-शुक्रवार को बताई गई है। जिससे लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
रक्षाबंधन की तरह इस बार जन्माष्टमी के त्योहार को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही। ऐसे में कोई 18 अगस्त को जन्माष्टमी बता रहे हैं तो कोई 19 अगस्त को। ऐसे में किस दिन जन्माष्टमी मनानी चाहिए और किस दिन जन्माष्टमी का व्रत करना चाहिए, इस पर पंडित मनोज शास्त्री ने पूरे विस्तार पूर्वक जानकारी दी। पंडित मनोज शास्त्री ने बताया कि जन्माष्टमी को लेकर किसी भी तरह के भ्रम में रहने की आवश्यकता नहीं है। जन्माष्टमी का त्योहार गृहस्थ लोगों के लिए 18 अगस्त है और वहीं मठ मंदिरों में और जहां पर भी भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाएगा। वहां पर 19 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि में अष्टमी के दिन 12 बजे हुआ था। ऐसे में जो व्रत रखते हैं उन्हें अष्टमी तक व्रत रखने का ही ग्रंथों में विधि-विधान है और 12 बजे पूजा करके अपने व्रत को खोलना चाहिए। इसीलिए 18 अगस्त के दिन व्रत की जन्माष्टमी गृहस्थ जीवन वाले मना सकते हैं। वहीं जब अगले दिन गोकुल में श्री कृष्ण के जन्म की सूचना गई थी तो जन्माष्टमी का त्योहार बनाया गया था। इसीलिए मठ मंदिरों इत्यादि में अष्टमी के अगले दिन जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसीलिए सभी मठ मदिरों में संतों द्वारा 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।