संविधानिक पद पर बैठकर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी निभा रही हैं संगठन धर्मः जयेन्द्र रमोला

ऋषिकेश, ऋषिकेश विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे व अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य जयेन्द्र रमोला ने जारी एक बयान में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी की कार्यवाही पर उठाये सवाल। जयेन्द्र रमोला ने कहा कि जहां एक ओर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी आधे कर्मचारियों को विधानसभा बैकडोर भर्ती में नौकरी से बर्खास्त की गई कार्यवाही व आधों को बचाकर पहले ही सवालों के घेरे में है अब विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को दो पदों पर किये गये प्रमोशन को समाप्त कर रिवर्ट का आदेश देकर अपनी व सरकार की पीठ थपथपाने का काम कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर बड़ा सवाल ये भी है कि जब मुकेश सिंघल का प्रमोशन ग़लत तरीक़े व नियम विरूद्ध हुआ तो उनके प्रमोशन को वापिस कर उनको पुनः  नियुक्ति क्यों दी गई। रमोला ने कहा कि मुकेश सिंघल ग़लत तरीक़े से लिये गये पदोन्नति से सचिव स्तर के पद पर रहकर  जो उनके द्वारा अगर कोई असंवैधानिक निर्णय लिये हैं उनकी ज़िम्मेदारी किसकी होगी।
साथ ही इतने कार्यकाल में जो सचिव स्तर का पे स्केल उनके द्वारा लिया गया है उससे जो राज्य सरकार को हानि हुई है उसकी भरपाई कौन करेगा। रमोला ने कहा कि अगर एक वर्ष में दो प्रमोशन गलत थे तो प्रमोशन दिए किसने। क्या मुकेश सिंघल ने खुद अपना प्रमोशन किया, क्या मुकेश सिंघल ने खुद अपनी पत्रावली चलाई क्या मुकेश सिंघल ने खुद अपना वेतन बढ़ाया, क्या इस देश में कभी ऐसा कहीं हुआ कि घर में घुसे चोर को तो पकड़ लिया गया हो परन्तु घर में घुसवाने वाले चौकिदार पर चुप्पी साधी गई हो उसपर कोई कार्यवाही नहीं की गई हो। मैं पूछना चाहता हूँ कि विधानसभा अध्यक्ष ऋतू खंडूरी का ये कैसा न्याय है।
मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या विधानसभा अध्यक्ष को यह करने को कोटिया कमेटी ने कहा या मैडम संगठन के दवाब में किसी खास को बचा रही है !
रमोला ने कहा जब ग़लत तरीक़े से प्रमोशन पाने वाला दोषी है व ग़लत तरीक़े अधिक तनख़्वाह लेने वाला ग़लत है तो ग़लत तरीक़े से प्रमोशन देने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भी उससे अधिक दोषी हैं कहीं ना कहीं विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी संवैधानिक पद पर रहकर संगठन धर्म भी निभाने का काम कर रही हैं जब नौकरी पाने वाले दोषी तो नौकरी देने वाले दोषी क्यों नहीं, जब पदोन्नति पाने वाले दोषी तो पदोन्नति करने वाले दोषी क्यों नहीं ? ये बड़ा सवाल है कहीं ना कहीं ये सरकार का दोहरा चरित्र है।
मैं मुख्यमंत्री व विधानसभा अध्यक्ष से माँग करता हूँ कि जब मुकेश सिंघल का डिमोशन कर उनकी तनख़्वाह में कटौती की गई है और जो पूर्व में उन्होंने अधिक तनख़्वाह ली है उसकी भरपाई कैसे होगी कहीं ना कहीं उसकी भी वसूली की जानी चाहिये और ये वसूली पदोन्नति पाने वाले मुकेश सिंघल के साथ साथ पदोन्नति देने वाले तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल से भी की जानी चाहिये क्योंकि ग़लत तरीक़े से पदोन्नति देने वाले सबसे बड़े दोषी हैं और उनपर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिये, ताकि आमजन को पता लगे कि सरकार ईमानदारी से न्याय कर रही है

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