देहरादून, उत्तराखंड मुक्त विश्विद्यालय के विशेष शिक्षा विभाग द्वारा विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस का आयोजन राष्ट्रीय दृष्टिबधितार्थ दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान देहरादून के सभागार में किया गया। विवि के सहायक प्राध्यापक डॉ. सिद्धार्थ पोखरियाल ने ऑटिज्म के कारणों, पहचान एवं उनके निवारण पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि जन जागरूकता, उचित परामर्श और शारीरिक-मानसिक क्रियाओं के अभ्यास से काफी हद तक समस्या का निराकरण किया जा सकता है। विशेषज्ञ सुषमा भंडारी द्वारा ऑटिज्म की जांच से संबंधित प्रशिक्षण कार्यशाला में आए प्रतिभागियों को दिया गया, पुनर्वास से संबंधित जानकारी भी प्रदान की गई। प्रतिभागी सलोनी आनंद द्वारा सभी का धन्यवाद गया।
वहीं, माइंड हील क्लीनिक में विश्व ऑटिज्म दिवस मनाया गया। जागरुकता प्रोग्राम में डा. अखिल चोपड़ा ने बताया कि बच्चों में होने वाली डेवलपमेटल डिसेबिलिटी हैं, जो अधिकांश अनुवांशिक कारणों से होता है। यह बच्चे अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते, अपने में खोये रहते हैं, किसी के साथ भी ज्यादा धुल मिल नहीं पाते। इन बच्चों में सोशल स्किल्स की कमी, रिपिटेटिव बिहेवियर की दिक्कतें भी होती हैं। डा. दिव्या चोपड़ा ने बताया कि यह बच्चे मंदबुद्धि नहीं होते। इनका मानसिक विकास बाकी बच्चों की तुलना में धीरे होता है। यह बच्चे माग पिता का खास ध्यान चाहते हैं। प्यार, अटेशन व स्पैशल ऐजुकेशन से यह बच्चे सामान्य बच्चों की तरह आत्म निरंभर बन सकते हैं।