देहरादून। आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के केस से उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने खुद को अलग कर लिया है। मामला केंद्र में संजीव चतुर्वेदी की प्रतिनियुक्ति विवाद से जुड़ा है। आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने पूर्व में केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति मांगी थी, जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकार नहीं किया था। इसे संजीव चतुर्वेदी ने कोर्ट में चुनौती दी थी। प्रतिनियुक्ति से जुड़े मामले की सुनवाई को लेकर केंद्र सरकार ने स्थानांतरण याचिका दायर की थी। केंद्र सरकार इस मामले की सुनवाई उत्तराखंड उच्च न्यायालय से स्थानांतरित करते हुए कैट की दिल्ली बेंच में करवाना चाहती है जबकि संजीव चतुर्वेदी ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय से ही मामले का निपटारा करने के निर्देश मांगे हैं।
संजीव चतुर्वेदी का कहना है कि जब कैट की बेंच नैनीताल में है और प्रदेश के सभी मामले यहीं सुने जा रहे हैं तो केवल उनके मामले को सुनवाई के लिए दिल्ली बेंच में क्यों भेजा जा रहा है। बृहस्पतिवार को मामला न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ में आया। सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी ने आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े इस मामले पर सुनवाई करने से खुद को अलग कर लिया। इस मामले में अब न्यायमूर्ति मनोज तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि संजीव चतुर्वेदी के मामले को न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी के समक्ष सूचीबद्ध न किया जाए। पूर्व में भी विभिन्न न्यायालयों के नौ न्यायाधीश संजीव चतुर्वेदी के मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर चुके हैं।